बसंती की फोटो
बसंती कई दिनों से सोच रहा हूँ आप कैसी होंगी, जिसने इतने रंग बिखेरे है वो खुद कितनी रंगीन होंगी
मंच पर सब अपने अपने ढंग से आपकी व्याख्या करने में लगे है तो हमने सोचा हम भी अपनी कल्पनाओ को एक रुप दे दे पर कैसे बनाये आपकी तस्वीर
चलो कोशिश करते है…………………..
तस्वीर बनाता हूँ जो तेरी तो हैरानी बढ़ जाती है
कागज पर रेखाओं को जोड़ना शुरू किया ,
एक तस्वीर बनने लगी है ….
मेरी हथेली पर स्याही लगती गयी थोड़ीसी ,
लगा तकदीर की लकीरें बनने लगी है …….
थोडा गुलाबी रंग चेहरे पर लगाया ,
थोडी सी नाक पर भी लगा दी ,
गाल पर लाल रंग के छीटे बनाये ,
आँख के नीचे काला टीकासा रंग गया दिया ….
मैं तस्वीर बना रहा था अपनी कल्पनाओ से बसंती की
तस्वीर बनने लगी है अब
कहीं हंसी थी ,
कहीं आश्चर्यम ही आश्चर्यम था ,
कहीं थोडासा गुस्सा था ,
कहीं आँखें छलक रही थी ,
कहीं ख्वाबोंका घरौंदा था …….
मैं लगातार कल्पनाओ में रंग भर रहा था ,
प्यारी बसंती की तस्वीर गढ़ रहा था
कितने रंग छोड़कर गयी वो हम सब के लिए ,
छुपी रुस्तम थी वो सायद ,
उसने बिना कहे सब जता दिया ,
खुबसूरत तस्वीर बन आई है कल्पनाओ से ,
क्या रूप दिया है रेखाओ ने बसंती को रचनाओ से !!!
जिसे हर दिल में उतारा जा सके वो प्रेम हो तुम बसंती !!!
वो तुम ही हो…. तुमही हो….. तुम ही हो बसंती !!!!!
Read Comments