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आज का दिन हमारे लिए बड़े गर्व का दिन है. हमारी विजय का दिन. कारगिल विजय याद करके आज भी मन प्रफुलित हो जाता है. मुझे आज भी याद है २६ जुलाई का वो दिन जब कारगिल पर फतह की खबर आई थी. हमारे स्कूल में ( तब मै 9th क्लास में था) तुरंत ही इस विजय की खुशियों को मानाने की तैयारिया हो गयी. रंगारंग कार्यक्रम के साथ पुरे कैम्पस में देश भक्ति गाने बजने लगे. मैंने भी सोच मै भी कुछ लिखू इस विजय पर और फिर मैंने ये कविता लिखी और २००० बच्चो के बीच में मैंने ये कविता सुनाया जो मैंने बस १५ मिनट में लिखी थी. आज उसी कविता को उसी रूप में आप सब के साथ शेयर कर रहा हूँ. ऐसा हो सकता है की साहित्य के नजरिये से इस कविता में काफी गलतियाँ हो पर यकीं मानिये 9th क्लास में लिखी ये कविता मुझे आज भी अपने जीवन की सबसे बढ़िया रचना लगती है
है नमन मेरा उनको
जो शहीद हुए कारगिल में
और श्रधांजलि उनको अर्पण
जो हो गए मरणासन्न
भारत माता कि रक्षा में
शहीद हुए वो प्यारे
घर लौट कर नहीं आये
वो वीर सैनिक हमारे
हमारे कल कि खातिर
आपना आज गवाकर
हँसते रहे वो वीर
तन पर जख्म उठाकर
आखिर युद्ध हुआ क्यूँ
ये कोई नहीं जनता है
क्या मित्रता का पुष्प
शत्रुता का कांटा बुनता है
भारत ने पाकिस्तान से
मित्रता का हाथ बढ़ाया
पाकिस्तान ने उसमे
शत्रुता का खंजर चुभाया
पाकिस्तान ने भारत में
अपने घुसपैठी घुसाये
जिन्होंने छुप-छुप कर
बम और गोले गिराए
भारत ने इस बात को
था जब जाना
तब कठिन हो गया था
शत्रु पर काबू पाना
पर हम न घबराये
कदम आगे बढ़ाये
हमारे एक एक सैनिक ने
दस शत्रु मार गिराए
भारत माँ के बेटो ने
हर आतंकी को मार गिराया
और उनके द्वारा हथियाए
भूमि को मुक्त कराया
पर युद्ध के दौरान अनेक माताओ ने
अपने बेटो को खोया
और अनेक विवाहिताओ ने
मांग का सिंदूर धोया
मेरी श्रधांजलि अर्पित है
उन सभी सैनिको को
भारत माता के लाल
उन सभी शहीदों को …………..
जय हिंद जय भारत
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