Menu
blogid : 3006 postid : 42

आवाज़ें

GUGLU-MUGLU
GUGLU-MUGLU
  • 30 Posts
  • 226 Comments

एक पुरानी किताब के पन्नों पे आज उंगली चलाई
जाने कहाँ से कुछ धीमी आवाज़ें आई

आवाज़ एक जानी पहचानी सी
आवाज़ें कुछ बरसों पुरानी सी

एक हँसी थी दूर से आती हुई
गूंजती थी दिल को भरमाती हुई

कितनी ही बातें थी उस आवाज़ में
जाने क्या कह गई अपने ही अंदाज़ में

एक संगीत खामोशी की नींद तोड़ता हुआ
पुरानी ग़ज़लों का दुशाला ओढ़ता हुआ

कुछ सवाल उठे उचक कर ऐसे
नींद से कोई बच्चा जागता हो जैसे

बूढ़ी पंखुड़ियों से बुझी राख टटोल रहा था
उस किताब में दबा एक गुलाब बोल रहा था

मेरा हाथ पकड़ कर वो मुस्कुराने लगा
किन्ही बिछ्ड़े रास्तों पर ले जाने लगा

कुछ सोच कर मैंने उसका हाथ झटक दिया
किताब बंद कर उसका मुंह भी बंद कर दिया

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh