Menu
blogid : 3006 postid : 14

जीवन क्या है?

GUGLU-MUGLU
GUGLU-MUGLU
  • 30 Posts
  • 226 Comments

जीवन का हर पल एक पानी के बुलबुले जैसा ,
पल रुक नही सकता और बुलबुला फूटे
बिना रह नही सकता ।
हर पल की सच्चाई स्वीकार कर
सुख-दुख खुशी सब कुछ उसमें या
फिर कुछ परछाई निर्लय जीवन की,
सब कुछ समा जाता है पल में
लगता हैं पल कितना छोटा है।
पल की गहराई में जाओ ,
है छिपा उसमें जीवन का रस ।
सब कुछ याद दिलाकर कभी हँसा
जाता हैं पल और
कभी रुला जाता हैं पल।
हर पल में आभास हैं विस्तृत जीवन का ,
जीवन का विस्तार ही हैं ,यह जुड़ता पल
पल ही आँसू बिखराता हैं और
हर खुशी को संजोए रखता हैं।
इस पल से ही तो जीवन का
आकार बदल जाता हैं।
जीवन के हर दर्शन को हर
पल ही तो संभाले रहता हैं।
सोचों जो बुलबुला फूट गया
लौटकर कहाँ कब बनता हैं।
पल और पर पल भी इसी तरह
जो बीत गया
वह लौटकर फिर कहाँ आता हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh